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मैं सुहागन पूरी हो गई

माँग मेरी सिंदूरी हो गई,
मैं  सुहागन पूरी हो गई।

तुझ से  वो  दूरियां मेरी,
अब कहाँ  दूरी  हो गई।

तेरे प्रेम से महकने लगी,
मैं कोई  कस्तूरी हो गई।

तेरी सूरत आँखों भरके,
मैं  तो  सुनहरी  हो  गई।

"निक्क" मेरी ना रही मैं,
पूरी के पूरी तेरी हो गई ।

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15 Comments

Suryansh

16-Oct-2022 07:17 PM

Wahhh wahhh Superr से

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Wahhhh बहुत ही भावनात्मक रचना अंतिम लाइन जबरदस्त है

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nikksinghnikhil

15-Oct-2022 08:38 PM

बहुत बहुत धन्यवाद आपका

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Punam verma

14-Oct-2022 08:52 AM

Nice

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nikksinghnikhil

14-Oct-2022 10:27 AM

Thank you

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